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मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

चाणक्य नीति या चाणक्य नीतिशास्त्र -

 चाणक्य नीति एक प्राचीन भारतीय नीति ग्रंथ है, जो महान संगठनकार और दार्शनिक चाणक्य द्वारा लिखा गया था। यह ग्रंथ समाज, राजनीति, धर्म, नैतिकता, आचार-व्यवहार और अन्य जीवन के क्षेत्रों में समस्याओं का समाधान ढूँढने के लिए सूत्रों का संग्रह है।

इस ग्रंथ में चाणक्य जीवन की अनुभूतियों का उल्लेख करते हुए, जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे आचरण, अचरण, सम्बन्ध, नैतिकता, नीति, धन, संस्कृति और अन्य के बारे में अपने दृष्टिकोण को व्यक्त करते हैं। यह एक अद्भुत ग्रंथ है जो लोगों को सफल जीवन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए संदेश देता है।

लोककथा - 1

चाणक्य एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहते थे। वहां अनेक लोग उनसे परामर्श और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। जिस जंगल में वह रहते थे, वह पत्थरों और कंटीली झाडि़यों से भरा था। चूंकि उस समय प्राय: नंगे पैर रहने का ही चलन था, इसलिए उनके निवास तक पहुंचने में लोगों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता था। वहां पहुंचते-पहुंचते लोगों के पांव लहूलुहान हो जाते थे।


एक दिन कुछ लोग उस मार्ग से बेहद परेशानियों का सामना कर चाणक्य तक पहुंचे। एक व्यक्ति उनसे निवेदन करते हुए बोला, ‘आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर यहां की जमीन को चमड़े से ढकवाने की व्यवस्था करा दें। इससे लोगों को आराम होगा।’ उसकी बात सुनकर चाणक्य मुस्कराते हुए बोले, ‘महाशय, केवल यहीं चमड़ा बिछाने से समस्या हल नहीं होगी। कंटीले व पथरीले पथ तो इस विश्व में अनगिनत हैं। ऐसे में पूरे विश्व में चमड़ा बिछवाना तो असंभव है। हां, यदि आप लोग चमड़े द्वारा अपने पैरों को सुरक्षित कर लें तो अवश्य ही पथरीले पथ व कंटीली झाडि़यों के प्रकोप से बच सकते हैं।’ वह व्यक्ति सिर झुकाकर बोला, ‘हां गुरुजी, मैं अब ऐसा ही करूंगा।’


इसके बाद चाणक्य बोले, ‘देखो, मेरी इस बात के पीछे भी गहरा सार है। दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारो। इससे तुम अपने कार्य में विजय अवश्य हासिल कर लोगे। दुनिया को नसीहत देने वाला कुछ नहीं कर पाता जबकि उसका स्वयं पालन करने वाला कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंच जाता है।’ इस बात से सभी सहमत हो गए


Chanakya resided in a forest in a hut, and many people came to him seeking advice and knowledge. The jungle he lived in was filled with stones and thorny bushes. As barefoot living was a common practice at that time, people had to face many difficulties in reaching his residence, and their feet would often be bloodied by the time they arrived.

One day, some people who had faced extreme difficulties on their way to Chanakya's hut reached him. A person made a request to him and said, "We faced a lot of difficulty in reaching here. Please ask the king to have the ground covered with leather so that people can have some comfort." Hearing this, Chanakya smiled and said, "Sir, just covering the ground with leather won't solve the problem. There are countless thorny bushes and stones in this world. It is impossible to cover the entire world with leather. However, if you protect your feet with leather, you can avoid the dangers of thorny bushes and stony paths." The person bowed his head and said, "Yes, Guruji, I will do that now."

After this, Chanakya said, "See, there is a deeper meaning behind my words. Instead of trying to improve others, improve yourself. By doing so, you will achieve success in your endeavors. One who only gives advice to the world cannot do anything else."