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मंगलवार, 18 अप्रैल 2023

जीवन में चुनौतियों से लड़ना बहुत जरूरी है

 जीवन में चुनौतियों से लड़ना बहुत जरूरी है क्योंकि यह हमारी व्यक्तिगत विकास और सफलता के लिए आवश्यक होता है। जिंदगी के संघर्ष से हम नई चुनौतियों से निपटने की क्षमता प्राप्त करते हैं और उन्हें सफलता के रूप में परिणाम देते हैं। चुनौतियों से लड़ने से हमें अपनी नैतिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता है और हम उन्हें संजोया जाता है।

इसलिए, हमें चुनौतियों को स्वीकार करने और उनसे समझौते करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। इन्हीं चुनौतियों से हम अपने आप को और अधिक सशक्त बना सकते हैं और अपनी सीमाओं को पार कर सकते हैं। इसलिए, जीवन में चुनौतियों को एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

जिंदगी में संघर्ष और चुनौतियाँ, हमें उन गुणों का विकास करने का मौका देती है जो हम अन्यथा कभी नहीं पा सकते जब हम चुनौतियों का सामना करते हैं, तो हमारी निष्ठा, संयम, धैर्य, समझदारी और दूसरे गुणों का परीक्षण होता है। समस्याओं और चुनौतियों के सामने जीत हासिल करना मुश्किल होता है, लेकिन जब हम इन्हें सफलतापूर्वक पार करते हैं, तो हमारे अंदर आत्मविश्वास और नई ऊर्जा का उद्भव होता है। चुनौतियों का सामना करने से हमारी मानसिक ताकत और ऊर्जा बढ़ती है, जिससे हम अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। चुनौतियों से लड़ने वाले व्यक्ति हमेशा से अधिक मजबूत होते हैं और अपने जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करते हैं।


जिंदगी में भी अगर संघर्ष न हो, चुनौती न हो, तो इन्सान खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता ! ये चुनौतियाँ ही हैं जो इन्सान रूपी तलवार को धार देती हैं, उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनौतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे।

संघर्ष ही जीवन है

"संघर्ष ही जीवन है"

एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज रहता था !
कभी बाढ़ आ जाये,
कभी सूखा पड़ जाए,
कभी धूप बहुत तेज हो जाए,
तो कभी ओले पड़ जाये!
हर बार कुछ न कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाया करती थी !

एक  दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा -
देखिये प्रभु, आप परमात्मा हैं, लेकिन लगता है, आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है।

एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये,
जैसा मैं चाहूं वैसा मौसम हो,
फिर आप देखना मैं कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा!

परमात्मा मुस्कुराये और कहा- ठीक है,
जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम  दूंगा,
मैं दखल नहीं करूँगा! जैसा तुम चाहो।

किसान ने गेहूं की फ़सल बोई,
जब धूप चाही, तब धूप  मिली, जब पानी चाहा, तब पानी !
तेज धूप, ओले, बाढ़, आंधी को तो उसने आने ही नहीं दीया।

समय के साथ फसल बढ़ी,
और किसान की ख़ुशी भी,
क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी !

किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को,
कि फ़सल कैसे करते हैं,

बेकार ही इतने बरस हम किसानों को परेशान करते रहे।

फ़सल काटने का समय भी आया,
किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया,
लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा,
एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!

"गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था"

सारी बालियाँ अन्दर से खाली थीं।

बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा - प्रभु ये क्या हुआ ?

तब परमात्मा बोले -
ये तो होना ही था,
तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया।
न तेज धूप में उनको तपने दिया, न आंधी ओलों से जूझने दिया,

उनको  किसी प्रकार की चुनौती  का अहसास जरा भी नहीं होने दिया,
इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए,
जब आंधी आती है,
तेज बारिश होती है,
ओले गिरते हैं तब पौधा अपने बल से ही खड़ा रहता है,
"वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है"
और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वही उसे शक्ति देता है, ऊर्जा देता है,
उसकी जीवटता को उभारता है।

उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष न हो, चुनौती न हो, तो इन्सान खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता ! ये चुनौतियाँ ही हैं जो इन्सान रूपी तलवार को धार देती हैं, उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनौतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे।