मंगलवार, 17 जुलाई 2018

हर एक चीज में एक खूबसूरती, एक अच्छाई होती है, लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता

कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान है, लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है।



बहुत समय पहले की बात है।एक बार एक गुरु जी गंगा किनारे स्थित किसी गाँव में अपने शिष्यों के साथ स्नान कर रहे थे।तभी एक राहगीर आया और उनसे पूछा, “महाराज, इस गाँव में कैसे लोग रहते हैं, दरअसल मैं अपने मौजूदा निवास स्थान से कहीं और जाना चाहता हूँ?

गुरु जी बोले, “जहाँ तुम अभी रहते हो वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं?
मत पूछिए महाराज, वहां तो एक से एक कपटी, दुष्ट और बुरे लोग बसे हुए हैं.”, राहगीर बोला।
गुरु जी बोले, “इस गाँव में भी बिलकुल उसी तरह के लोग रहते हैं…कपटी, दुष्ट, बुरे…”

और इतना सुनकर राहगीर आगे बढ़ गया।कुछ समय बाद एक दूसरा राहगीर वहां से गुजरा।उसने भी गुरु जी से वही प्रश्न पूछा, “मुझे किसी नयी जगह जाना है, क्या आप बता सकते हैं कि इस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ?

जहाँ तुम अभी निवास करते हो वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं ?”, गुरु जी ने इस राहगीर से भी वही प्रश्न पूछा।
जी वहां तो बड़े सभ्य, सुलझे और अच्छे लोग रहते हैं.”, राहगीर बोला।

तुम्हे बिलकुल उसी प्रकार के लोग यहाँ भी मिलेंगे…सभ्य, सुलझे और अच्छे ….”, गुरु जी ने अपनी बात पूर्ण की और दैनिक कार्यों में लग गए।

पर उनके शिष्य ये सब देख रहे थे और राहगीर के जाते ही उन्होंने पूछा, “क्षमा कीजियेगा गुरु जी पर आपने दोनों राहगीरों को एक ही स्थान के बारे में अलग-अलग बातें क्यों बतायी।
गुरु जी गंभीरता से बोले, “शिष्यों आमतौर पर हम चीजों को वैसे नहीं दखते जैसी वे हैं, बल्कि उन्हें हम ऐसे देखते हैं जैसे कि हम खुद हैं। हर जगह हर प्रकार के लोग होते हैं यह हम पर निर्भर करता है कि हम किस तरह के लोगों को देखना चाहते हैं।

शिष्य उनके बात समझ चुके थे और आगे से उन्होंने जीवन में सिर्फ अच्छाइयों पर ही ध्यान केन्द्रित करने का निश्चय किया।“हर एक चीज में एक खूबसूरती, एक अच्छाई होती है, लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता

बुधवार, 4 जुलाई 2018

A friend in need is a friend in deed

~~ 1 ~~

Once a lion lay fast asleep in the Ranthambore forest of Rajasthan. Some mice were playing hide and seek near him. One mouse got trapped under the lion's paw. The lion woke up, laughed loudly and let the mouse go! 
After some days the mouse heard the lion's roar. He saw that the lion lay in great pain as he was tied with many rupees. The mouse used his sharp teeth and cut the rope.Thus it escaped. 

Indeed, a friend in need is a friend in deed.

"You are a true friend," said the lion. 

There after, the mouse and the lion became friends. They lived happily in the forest afterwards. 


From Aesop's Fables



~~ 2 ~~


Once there were two friend lived near the forest village. They were fast friends. They promise to each other if any difficult time will come they will help each other and never leave alone. One day they were going city to bring some house use products. 
When they were passing through forest they saw a bear coming toward him. One friend knows how to climb the tree so he suddenly climbed up the tree and leave the other friend alone. Now his friend alone and no one there who can save him from bear. 
He heared, the bear does not eat dead body. He lay down on the ground and did the act like he is dead. When bear came to near him and smell him to his ear and went in the forest to leave there as consider dead. 
When bear gone his friend ask him what bear said to his ear. He 
answer his friend the bear said, do not trust a false and selfish friend.




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3rd century BC. Quintus Ennius wrote: 'Amicus certus in re incerta cernitur'. This translates from the Latin as 'a sure friend is known when in difficulty'.


बुधवार, 23 अगस्त 2017

सुभाषित


वाणी रसवती  यस्य यस्य श्रमवती क्रिया ।
लक्ष्मीर्दानवती यस्य सफलं तस्य जीवितम् ॥

भावार्थ- जिसकी वाणी रसपूर्ण हो, कर्म-क्रिया श्रमवान हो, और लक्ष्मी दानवती हो उसका जीवन निश्चित ही सफल होता है।

शान्तितुल्यं तपो नास्ति
           न संतोषात्परं सुखम्।
न तृष्णया: परो व्याधिर्न
           च धर्मो दया परा:।।

भावार्थ- शान्ति के समान कोई तप नही है, संतोष से श्रेष्ठ कोई सुख नही, तृष्णा से बढकर कोई रोग नही और दया से बढकर कोई धर्म नहीं।
   
      
   

शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

Beautiful interpretation of Karma and Bhagya

✍एक चाट वाला था। जब भी चाट खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।

एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।

तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।

मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?

और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।

कहने लगा,आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?

उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाभियाँ होती हैं।

एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।

आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।

जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता।

आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।

अाप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये।पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।

This is a beautiful interpretation of Karma and Bhagya 🤔

रविवार, 6 अगस्त 2017

मित्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐ







तप्त ह्दय सरस स्नेह से
जो सहला दे मित्र वही है
रूखे मन को सरोबार कर
जो नहला दे मित्र वही है
प्रिय वियोग संतप्त चित्त को
जो बहला दे मित्र वही है
अश्रु बूंद की एक झलक से
जो दहला दे मित्र वही है
मित्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐ

शनिवार, 22 जुलाई 2017

Golden Rules of Life : ACCEPTANCE

     
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 ✍*ACCEPT*
      Accept others for
      who they are and
      for the choices they
      have made even if
      you have difficulty
      understanding their
      beliefs, motives
      or actions.

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी का वास है

एक बनिए  से लक्ष्मी जी रूठ गई। जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह टोटा (नुकसान ) आ रहा है। तैयार हो जाओ। लेकिन मैं तुम्हे अंतिम भेंट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो।

बनिया बहुत समझदार था। उसने 🙏 विनती कि टोटा आए तो आने दो। लेकिन उससे कहना कि मेरे परिवार  में आपसी प्रेम बना रहे। बस मेरी यही इच्छा  है।
लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा।

कुछ दिन के बाद :-
बनिए की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य  काम करने लगी। तब दूसरे लड़के की  बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई। इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आईं और नमक डालकर चली गई। उनकी सास ने भी ऐसा किया।

शाम को सबसे पहले बनिया आया। पहला निवाला मुँह में लिया और देखा कि बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया  कि टोटा (हानि)  आ चुका है, चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद  बङे बेटे का नम्बर आया।

पहला निवाला  मुँह में लिया, पूछा, पिता जी ने खाना खा लिया? क्या कहा उन्होंने ?

सभी ने उत्तर दिया:- "हाँ खा लिया,कुछ नही बोले।"

अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ  नहीं बोले तो मैं भी चुपचाप खा लेता हूँ। इस प्रकार घर के अन्य  सदस्य भी एक -एक आए, पहले वालों के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए।

रात  को टोटा (हानि) हाथ जोड़कर बनिए से कहने लगा:- "मै जा रहा हूँ।"

बनिए ने पूछा- क्यों ?

तब टोटा (हानि ) कहता है, "आप लोग एक किलो तो नमक खा गए।

लेकिन  बिलकुल  भी  झगड़ा  नहीं हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं"।

निचौङ
झगड़ा कमजोरी , टोटा, नुकसान  की पहचान है।
जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी  का वास है।
सदा प्यार -प्रेम  बांटते रहें। छोटे -बङे  की कदर करें।
जो बङे हैं ,वो बङे ही रहेंगे । चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई   से बङी हो। 

गुरुवार, 12 जनवरी 2017

छोटे और बड़े

🍃🍂🍃🍂🍁🎭🍁🍂🍃

    
जो लोग आपके पद प्रतिष्ठा
   और पैसे से जुड़े हे,
       वो लोग आपके 'साथ' खड़े रहेंगे,
         परन्तु जो लोग आपकी वाणी,
        विचार और व्यवहार से जुड़े हैं,
       वो लोग आपके 'लिये' खड़े रहेंगे !!
          इतने छोटे बनिए की हर कोई
      आप के साथ बैठ सके
और इतने बड़े बनिए की
        आप खड़े हो तो कोई बैठा न रहे !!

       💐💐🍃🍂🍃🍂🍁🎭🍁🍂🍃

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

26 LIFE PRINCIPLES

🌀A
        ✍*ACCEPT*
      Accept others for
      who they are and
      for the choices they
      have made even if
      you have difficulty
      understanding their
      beliefs, motives
      or actions.

🌀B
        ✍*BREAK AWAY*
      Break away from
      everything that
      stands in the way
      of what you hope
      to accomplish
      with your life.

🌀C
        ✍🏽
      *CREATE*
      Create a family
      of friends whom
      you can share your
      hopes, dreams,
      sorrows, and
      happiness together.

🌀D
        ✍ *DECIDE*
      Decide that you’ll be
      successful *&* happy
      come what may, and
      good things will find
      you. The roadblocks
      are only minor
      obstacles along
      the way.

🌀E
        ✍*EXPLORE*
      Explore & experiment.
      The world has much
      to offer, and you
      have much to give.
      And every time you
      try something new,
      you’ll learn more
      about yourself.

🌀F
        ✍*FORGIVE*
      Grudges only weigh
      you down and inspire
      unhappiness *&* grief.
      Soar above it, and
      remember that
      everyone makes
      mistakes.

🌀G
        ✍*GROW*
      Leave the childhood
      monsters behind. They
      can no longer hurt you
      or stand in your way.

🌀H
         ✍*HOPE*
      Hope for the best
      and never forget that
      anything is possible
      as long as you remain
      dedicated to the task.

🌀I
        ✍ *IGNORE*
      Ignore the negative
      voice inside your head.
      Focus instead on your
      goals and remember
      your accomplishments.
      Your past success is only
      a small inkling of what
      the future holds.

🌀J
        ✍*JOURNEY*
      Journey to new worlds,
      new possibilities, is
      mostly by remaining
      open-minded.
      Try to learn something
      new every day and you
      will grow in Knowledge.

🌀K
        ✍ *KNOW*
      Know that no matter
      how bad things seem,
      to be they will always
      get better.
      The harshest Winter
      always follows the
      Warmth of Spring.

         
🌀L
        ✍*LOVE*
      Let love fill your
      heart instead of hate.
      When hate is in your
      heart, there is *NO* room
      for anything else,
      but when love is in
      your heart, there’s
      room for endless
      happiness.

🌀M
        ✍ *MANAGE*
      Manage your time and
      your expenses wisely,
      and you’ll suffer less
      stress and worry.
      Then you’ll be able to
      focus on the important
      things in life.

🌀N
        ✍ *NOTICE*
      Never ignore the poor,
      infirm, helpless, weak,
      or suffering people.
      Offer your assistance
      when possible, and
      always your kindness
      and understanding.

🌀O
        ✍*OPEN*
      Open your eyes and
      take in all the beauty
      around you.
      Even during the
      worst of times,
      there’s still much
      to be thankful for.

🌀P
        ✍*PLAY*
      Never forget to have
      fun along the way.
      Success means nothing
      without happiness.

🌀Q
         ✍*QUESTION*
      Ask many questions,
      because you are here
      to learn & be informed.

🌀R
        ✍*RELAX*
      Refuse to let worry
      and stress rule your
      Life, and remember
      that things always
      have a way of working
      out in the end.

🌀S
        ✍*SHARE*
      Share your talent,
      skills, knowledge,
      and time with others.
      Everything that you
      invest in others will
      return to you many
      times Multiplied.

🌀T
         ✍*TRY*
      Even when your
      dreams seem
      impossible to reach,
      try anyway. You’ll be
      amazed by what you
      can accomplish.

🌀U
        ✍*USE*
      Use your gifts to
      your best ability.
      Talent that is wasted
      has no value. Talent
      that is made into
      efforts will bring
      unexpected rewards.

🌀V
         ✍*VALUE*
      Value the friends and
      family members who
      have supported and
      encouraged you *&* be
      there for them as well

🌀W
     
   ✍*WORK*
      Work hard every day
      to be the best person
      you aspire to be, but
      never feel guilty if you
      fall short of your goals.
      Every *sunrise* offers
      a second chance.

🌀X
         ✍*X-RAY*
      Look deep inside the
      hearts of those around
      you and you will see
      the goodness and
      beauty within.

🌀Y
✍*YIELD*
      Yield to commitment.
      If you stay on track
      and remain dedicated,
      you will find success
      at the end of the road.

🌀Z
     
✍*ZOOM*
      Zoom to a happy
      place when bad
      memories or sorrow
      rears its ugly head.
      Let nothing interfere
      with your goals.
      Instead, focus on
      your abilities, in
      your dreams, and
      a brighter tomorrow.

From a soul that cares.
🌹❤🌺

शब्द सदा एैसे कहो

शब्द-शब्द में ब्रह्म हो
शब्द-शब्द में सार,

शब्द सदा एैसे कहो
जिनसे उपजे प्यार..!!

Some beautiful answers and way of thinking of .....

*What Is Poison ? ? ?*
He Replied With A Beautiful Answer - *AnyThing Which Is More Than Our Necessity Is Poison.* It May Be Power, Wealth, Hunger, Ego, Greed, Laziness, Love, Ambition, Hate Or AnyThing.

*What Is Fear ? ? ?*
Answer: *Non Acceptance Of Uncertainty.*
If We Accept That Uncertainty, It Becomes Adventure.

*What Is Envy ?*
Answer: *Non Acceptance Of Good In Others,*.. If We Accept That Good, It Becomes Inspiration.

*What Is Anger ? ? ?*
Answer: *Non Acceptance Of Things Which Are Beyond Our Control.*
If We Accept, It Becomes Tolerance.

*What Is Hatred ? ? ?*
Answer: *Non Acceptance Of Person As He Is.* If We *Accept any Person Unconditionally, It Becomes Love.*

रविवार, 11 दिसंबर 2016

ईश्वरलाभ

  एक गांव में एक लकडहारा रहता था. वह रोज जंगल जाकर लकडी काटता और उसे बाजार में बेच देता. किन्तु कुछ समय से उसकी आमदनी घटती चली जा रही थी.

      उसकी मुलाकात एक संन्यासी से हुई. लकडहारे ने संन्यासी से विनती की- महाराज आमदनी घटने से परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है. दरिद्रता दूर करने का उपाय बताएं.

        उस सन्यासी ने लकडहारे को कहा- जा आगे जा. सन्यासी का आदेश मानकर लकड़हारा आगे बढ़ता गया.

      चलते-चलते उसे कुछ देर बाद उसे चंदन का वन मिला. वहां की चंदन की लकडी बेच-बेच कर लकड़हारा अच्छा-खासा धनी हो गया.

       दिन सुख से कटने लगे तो एक दिन लकडहारे के मन में विचार आया कि संन्यासी ने तो मुझे आगे जा कहा था.
मैं फिर मात्र चंदन के वन से ही संतोष क्यों कर रहा हूं. यहीं फंसे रहने से क्या लाभ. मुझे तो और आगे जाना चाहिए. यह विचार करते-करते वह और आगे निकलता गया. आगे उसे एक सोने की खदान दिखाई दी. उसकी आंखें फटी रह गईं.

       सोना पाकर लकडहारा पहले से कई गुना अधिक धनवान हो गया. कोई कमी न रही उसे धन-दौलत की लेकिन उसमें और पाने की इच्छा पैदा हुई. कुछ दिनों तक सोना बेचने के बाद लकडहारा और आगे चल पडा. अबकी बार उसे हीरे-माणिक और मोती के भंडार मिल गए.

       उसके आनंद की कोई सीमा न थी. धन-दौलत के भंडार उसके कदमों के नीचे थे. जीवन बहुत सुखी और समृध्द हो गया.

     किंतु वह फिर सोचने लगा- उस सन्यासी को जब इतनी सारी दौलत का पता था तो फिर उसने स्वयं क्यों नहीं इनका उपभोग किया. यह प्रश्न उसके दिमाग में घूमता रहा. बार-बार घूमता रहा. उसने बहुत सोचा लेकिन लकडहारे को उत्तर नहीं मिला.

      तब वह फिर उस सन्यासी के पास गया और जाकर बोला- महाराज आप ने मुझे आगे जाने को कहा और धन-संपत्ति का पता दिया, लेकिन आप भला इस संपत्ति का आनंद क्यों नहीं उठाते?

      इसपर संन्यासी ने सहज उत्तर दिया. वह बोले ”भाई तेरा कहना उचित है, लेकिन तू जहां से रूक गया उसके और आगे जाने से ऐसी खास चीज हाथ लगती है जिसकी तुलना में ये हीरे और माणिक केवल मिट्टी और कंकड़ जैसे महसूस होते हैं.

      मैं उसी खास और सबसे मूल्यवान चीज की तलाश में मगन हूं. उस मूल्यवान चीज का नाम है- ईश्वरलाभ.

सन्यासी की गूढ़ बात से लकडहारे के मन में उतर गई. वह समझ गया था कि कोई भी दौलत ईश्वर के बिना पूर्ण नही होती.

      संपत्ति मन को क्षणिक सुख दे सकते हैं शाश्वत सुख नहीं. संपत्ति के साथ आती है उसे सहेजकर रखने की व्यथा. इस व्यथा का निदान होता है ईश्वर लाभ की संपदा के हाथ लगने के बाद.

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

A Beautiful story!!

A man often bought oranges from an old lady.
After they were weighed, paid for and put in his bag, he would always pick one from his bag, peel it, put a segment in his mouth, complain it's sour and pass on the orange to the seller.
The old lady would put one segment in her mouth and retort, "why, it's sweet," but by then he was gone with his bag.
His wife, always with him, asked, "the oranges are always sweet, then why this drama every time?"
He smiled, "the old mother sells sweet oranges but never eats them herself. This way I get her to eat one, without losing her money. That's all."
The vegetable seller next to the old lady, saw this everyday.
She chided, "every time this man fusses over your oranges, and I see that you always weigh a few extra for him. Why?"
The old lady smiled, "I know he does this to feed me an orange, only, he thinks I don't understand. I never weigh extra. His love tilts the scale slightly every time."
Life's joys are in these sweet little gestures of love and respect for our fellow beings.
O God, Grant us always the ability to show such amazing kindness and Gestures 😊

गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

THE JOURNEY IS SO SHORT

A young lady sat in a public transport. An old grumpy lady came and sat by her side as she bumped into her with her numerous bags. The person sitting on the other side of her got upset, asking the young lady why she did not speak up and say something.

The young lady responded with a smile: "It is not necessary to be rude or argue over something so insignificant, the journey together is so short. I get off at the next stop."

The response deserves to be written in golden letters in our daily behaviour and everywhere:

*It is not necessary to argue over something so insignificant, our journey together is so short*

If each one of us could realize that our passage down here has such a short duration; to darken it with quarrels, futile arguments, not forgiving others, ingratitude and bad attitudes would be a waste of time and energy.

Did someone break your heart? Be calm, the journey is so short..

Did someone betray, bully, cheat or humiliate you? Be calm, forgive, the journey is so short..

Whatever penalty anyone serves us, let's remember that our journey together is so short..

Let us therefore be filled with gratitude and sweetness. Sweetness is a virtue never likened to bad character nor cowardice, but better likened to greatness.

Our journey together down here is really short and cannot be reversed...
No one knows the duration of his journey.

No one knows if he will have to alight at the next stop..

Let us therefore cherish and hold on to friends and family! Let us be calm, respectful, kind, thankful and forgiving to each other. If I've hurt you, I ask your forgiveness. But please remember: The journey down here is so short.

रविवार, 27 नवंबर 2016

नजरिया और नज़ारे

एक बार दो दोस्त एक आम के बगीचे से गुज़र रहे थे की उन्होंने देखा के कुछ बच्चे एक आम के पेड़ के नीचे खड़े हो कर पत्थर फेंक कर आम तोड़ रहे हैं।
ये देख कर दोस्त बोला कि देखो कितना बुरा दौर आ गया कि पेड़ भी पत्थर खाए बिना आम नही दे रहा है।
तो दुसरे दोस्त ने कहा "नहीं दोस्त* तु गलत देख रहा है... ,दौर तो बहुत अच्छा है की पत्थर खाने के बावजुद भी पेड़ आम दे रहा है।
दिल में ख़यालात अच्छे हो तो सब चीज अच्छी नज़र आती है, और सोच बुरी हो तो बुराई ही बुराई नज़र आती है ।नियत साफ है तो नजरिया और नज़ारे खुद ब खुद बदल जाते है।

सावधान


प्रतिभा ईश्वर से मिलती है,
नतमस्तक रहें..!

ख्याति समाज से मिलती है,
आभारी रहें..!

मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं,
सावधान रहें..!!

गुरुवार, 24 नवंबर 2016

स्वंय को ऐसा बनाओ ....

स्वंय को ऐसा बनाओ जहाँ तुम हो, वहाँ तुम्हें सब प्यार करें,
जहाँ से तुम चले जाओ, वहाँ तुम्हें सब याद करें,
जहाँ तुम पहुँचने वाले हो, वहाँ सब तुम्हारा इंतज़ार करें।

Positive attitude


🙏बहुत शानदार,जानदार सीख🙏
एक घर के पास काफी दिन एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था।
वहा रोज मजदुरोंके छोटे बच्चे एकदुसरोंकी शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे।

रोज कोई इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे...

इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल  जाते,
पर...
केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए गार्ड बनता था।

उनको रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने  कौतुहल से गार्ड बननेवाले बच्चे को बुलाकर पुछा,

"बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?"

इस पर वो बच्चा बोला...

"बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पिछले वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे? और मेरे पिछे कौन खड़ा रहेगा?

इसिलए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हुँ।

"ये बोलते समय मुझे उसके आँखों में पानी दिखाई दिया।

आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया...

अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उस में कोई न कोई कमी जरुर रहेगी।

वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा होकर रोते हुए बैठ सकता था। वैसे न करते हुए उसने परिस्थितियों का समाधान ढूंढा।

हम कितना रोते है?
कभी अपने साँवले रंग के लिए, कभी छोटे क़द के लिए, कभी पड़ौसी की कार, कभी पड़ोसन के गले का हार, कभी अपने कम मार्क्स, कभी अंग्रेज़ी, कभी पर्सनालिटी, कभी नौकरी मार तो कभी धंदे में मार...

हमें इससे बाहर आना पड़ता है।

ये जीवन है... इसे ऐसे ही जीना पड़ता है

lets be positive

रविवार, 20 नवंबर 2016

प्रशंसा से बहका मनुष्य

एक मूर्तिकार बढ़िया-बढ़िया मुर्तिया बनाता था। किसी ज्योतिष ने उसे बताया की तुम्हारी जिन्दगी थोड़ी सी हैं केवल महीने भर की आयु बाकी हैं, मूर्तिकार चिंतित हुआ वह चिंता में डूब गया उसने एक संत ये यहाँ दस्तक दी, संत के चरणों में खूब रोया और मृत्यु से बचा लेने की प्रार्थना की।

संत ने पूछा तुम क्या करते हो ? उसने जबाब दिया मूर्तिकार हूँ, मुर्तिया बनाता हूँ। संत ने उसे उपाय सुझाया तुम अपनी जैसी शक्ल की आठ मुर्तिया बनाओ। मुर्तिया हू- ब- हू तुम्हारे जैसी ही होनी चाहिए, सो जिस दिन मृत्यु का बात आये, उस दिन सब को एक से वस्त्र पहना कर लाइन में खड़ा कर देना और इनके बीचो बीच में तुम स्वयं खड़े हो जाना तथा जैसे ही यमदूत तुमको लेने आये तो तुम एक मिनट के लिए अपनी साँस रोक लेना।

यमदूत तुमको पहचान नहीं पायेंगे, और इस तरह वे तुम्हे छोड़ कर चले जायेगे तथा तुम्हरी मृत्यु की घडी टल जायेगी। मूर्तिकार ने ऐसा ही किया मृत्यु के दिन यमदूत उसे लेने आए यमदूतो ने देखा कि एक जैसे नौ आदमी खड़े हैं। मुश्किल में पड़ गए इसमें असली कौन हैं और नकली कौन हैं, मालूम ही नहीं पड़ रहा और बेचारे यमदूत खाली हाथ ही लौट गए।

यमलोक जाकर यमराज से शिकायत की वहां नौ लोग खड़े हैं समझ में नहीं आता किसको लाना हैं। यमराज ने भी सुना तो उसे भी आश्चर्य हुआ क्यों कि पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ यमराज ने सोचा, मृत्युलोक में कोई नया ब्रह्मा पैदा हो गया हैं, जो एक जैसे अनेक व्यक्ति बनाने लगा हैं। यमराज जी ने ब्रह्मा जी को बुलवाया और पूछा ये क्या मामला हैं ? एक जैसी शक्ल के नौ- नौ आदमी ?

यमदूत पेशोपेश में हैं कि कौन असली हैं और कौन नकली, लेकर किसको जाना हैं यह कैसा तमाशा हैं ? ब्रह्मा जी ने देखा तो उनका भी सर चकराया, ब्रह्मा जी बोले मैंने तो पूरी पृथ्वी पर एक जैसे दो आदमी नहीं बनाये, लगता हैं सचमुच में कोई नया ब्रह्मा पैदा हो गया हैं, जिसने एक जैसे दो नहीं बल्कि नौ- नौ आदमीं बना दिए हैं। ब्रह्मा जी बोले मामला जटिल हैं इसका निपटारा विष्णु जी कर सकते हैं।

विष्णु जी को बुलवाया गया विष्णु जी ने सभी मूर्तियों की परिक्रमा की, उन्हें ध्यान से देखा तो असली बात समझ में आ गई। विष्णु जी ने ब्रह्मा जी से कहा - प्रभु क्या कमाल की कला हैं क्या सुन्दर और सजीव मुर्तिया बनायीं हैं जिसने यह मुर्तिया बनायीं हैं अगर मुझे मिल जाए तो में स्वयं उसका अभिनन्दन करूँगा, मैं स्वयं उसकी कला को पुरस्कृत करूँगा।

विष्णु द्वारा इतनी प्रशंसा सुननी थी कि बीच की मूर्ति (जिसमे स्वयं मूर्तिकार था) बोल पड़ी - प्रभु मैंने ही बनायीं हैं, मैं ही मूर्तिकार हूँ । विष्णु जी ने उसका कान पकड़ा और कहा - चल निकल बाहर हम तुझे ही खोज रहे थे और यमदूत पकड़कर उसे अपने साथ ले गए।

इसलिए, यहाँ इस धरती पर हर आदमी अपनी जरा सी प्रशंसा भर से बहक जाता हैं। प्रशंसा में फूल जाना और अपनी औकात को भूल जाना ही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी हैं, कोई आपकी कितनी भी तारीफ करे तो आपको जरा सावधान रहना चाहिए क्योंकि हो सकता है वह ही आपके लिए कोई जाल तैयार कर रहा हो। जीवन में हमेशा संयम बरते और ध्यान रखे ।

रविवार, 30 अक्तूबर 2016

द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए

गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है।
गुरू ने कहा अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।
एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली ।
'परिस्थिति'  बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो , बस दुख सुख में बदल जायेगा।
"सुख और दुख आख़िर दोनों मन के ही तो समीकरण हैं।
"अंधे को मंदिर आया देखलोग हँसकर बोले -"मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो , पर क्या भगवान को देख पाओगे ? "
अंधे ने कहा  - " क्या फर्क पड़ता है , मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा . .

"द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए" ।