शनिवार, 26 जून 2021

चूहे और शेर की दोस्ती




एक बार राजस्थान के रणथंभौर के जंगल में एक शेर गहरी नींद सो गया। उसके पास कुछ चूहे लुका-छिपी खेल रहे थे। एक चूहा शेर के पंजे के नीचे फंस गया। शेर उठा, जोर से हँसा और चूहे को जाने दिया!
कुछ दिनों बाद चूहे ने शेर की दहाड़ सुनी। उसने देखा कि शेर बहुत दर्द में पड़ा था क्योंकि वह कई रुपये से बंधा हुआ था। चूहे ने अपने नुकीले दांतों का इस्तेमाल किया और रस्सी को काट दिया। इस तरह वह भाग निकला।

दरअसल, जरूरतमंद दोस्त काम में दोस्त होता है।  हर दोस्त की यही तमन्ना होती है कि वह जरूरत के वक्त दोस्त के काम आए।

"आप एक सच्चे दोस्त हैं," शेर ने कहा।





इसके बाद चूहे और शेर की दोस्ती हो गई। वे बाद में जंगल में खुशी-खुशी रहने लगे।




ईसप की दंतकथाओं से


सोमवार, 30 नवंबर 2020

तलाश

 

What we are seeking so frantically elsewhere may turn out to be the horse we have been riding all along.

Harvey Cox
हम जिस चीज़ की तलाश कहीं और कर रहे होते हैं वह हो सकता है कि हमारे पास ही हो।

हारवी कॉक्स



It's possible that what we are searching for so desperately in other places is actually the horse we've been riding the whole time. It's possible that the proverbial "horse" we've been riding this whole time is actually the thing we've been looking for in all the wrong places.

बुधवार, 25 नवंबर 2020

Starting point of all achievement


 




The starting point of all achievement is DESIRE.
-Napoleon Hill

 

"The starting point of all achievement is DESIRE. Keep this constantly in mind. Weak desire brings weak results, just as a small fire makes a small amount of heat."
 
सभी उपलब्धि का प्रारंभिक बिंदु इच्छा है। इसे लगातार ध्यान में रखें। कमजोर इच्छा कमजोर परिणाम लाती है, जैसे एक छोटी सी आग थोड़ी मात्रा में गर्मी बनाती है।


Wanting something is the first step in accomplishing anything. Always keep this in the back of your mind. A lackluster desire will produce unsatisfactory outcomes, just as a smoldering ember will produce just a modest quantity of heat.

All success can be traced back to one thing: a burning need to do it. Never forget this. Results are proportional to the intensity of effort put in, so a weak desire will yield poor outcomes, just as a weak fire will yield weak heat.

A strong desire to fulfill one's potential is the single most important factor in determining one's level of success. Never let this slip your mind. The intensity of the effort that is put in is proportionate to the results that are produced; hence, a weak desire will result in poor outcomes, just as a weak fire will result in weak heat.

किसी चीज की चाहत किसी भी चीज को हासिल करने की पहली सीढ़ी होती है। इसे हमेशा अपने दिमाग के पीछे रखें। एक मंद इच्छा असंतोषजनक परिणाम उत्पन्न करेगी, जैसे एक सुलगता हुआ अंगारा केवल थोड़ी मात्रा में गर्मी पैदा करेगा।

सभी सफलताओं का पता एक चीज में लगाया जा सकता है: इसे करने के लिए एक ज्वलंत आवश्यकता है। यह कभी मत भूलना। परिणाम किए गए प्रयास की तीव्रता के समानुपाती होते हैं, इसलिए एक कमजोर इच्छा खराब परिणाम देगी, जैसे एक कमजोर आग कमजोर गर्मी पैदा करेगी।

किसी की सफलता के स्तर को निर्धारित करने में अपनी क्षमता को पूरा करने की तीव्र इच्छा सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इस बात को अपने दिमाग से कभी न फिसलने दें। किए गए प्रयास की तीव्रता उत्पादित परिणामों के अनुपात में होती है; इसलिए, एक कमजोर इच्छा के परिणामस्वरूप खराब परिणाम होंगे, जैसे एक कमजोर आग के परिणामस्वरूप कमजोर गर्मी होगी।
 

शनिवार, 19 सितंबर 2020

प्रेरक प्रसंग

 
प्रेरक प्रसंग
 
ईर्ष्यी घृणी न संतुष्टः क्रोधनो नित्याशङ्कितः।परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदुः खिताः।।
ईर्ष्या करने वाला , घृणा करने वाला , असंतोषी , क्रोधी , सदा संकित रहने वाला और दूसरों के भाग्य पर जीवन-निर्वाह करने वाला – ये छः सदा दुखी रहते हैं।

अष्टौ गुणाः पुरुषं दीपयन्तिप्रज्ञा च कौल्यं च दमः श्रुतं च।पराक्रमश्चाबहुभाषिता चदानं यथाशक्ति कृतज्ञता च।।
बुद्धि, कुलीनता, इन्द्रियनिग्रह, शास्त्रज्ञान, पराक्रम, अधिक न बोलना, शक्ति के अनुसार दान और कृतज्ञता – ये आठ गन पुरुष की ख्याति बढ़ा देते हैं।

प्राप्यापदं न व्यथते कदाचि-दुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्तः। दुःखं च काले सहते महात्मा धुरन्धरस्तस्य जिताः सप्तनाः।।
 जो धुरंधर महापुरुष आपत्ति पड़ने पर कभी दुखी नहीं होता, बल्कि सावधानी के साथ उद्योग का आश्रय लेता है तथा समयपर दुःख सहता है, उसके शत्रु तो पराजित ही हैं।

यो नोद्धतं कुरुते जातु वेषंन पौरुषेणापि विकत्थतेन्यान।न मूर्छित: कटुकान्याह किञ्चित्प्रियं सदा तं कुरुते जानो हि।।
जो कभी उद्यंडका-सा वेष नहीं बनाता, दूसरों के सामने अपने पराक्रम की डींग नही हांकता , क्रोध से व्याकुल होने पर भी कटुवचन नहीं बोलता, उस मनुष्य को लोग सदा ही प्यारा बना लेते हैं।




यूनान के प्रसिध्द दार्शनिक सुकरात एक बार अपने शिष्यों के साथ चर्चा में मग्न थे. उसी समय एक ज्योतिष घूमता-घामता पहुंचा, जो कि चेहरा देख कर व्यक्ति के चरित्र के बारे में बताने का दावा करता था. सुकरात व उनके शिष्यों के समक्ष यही दावा करने लगा. चूंकि सुकरात जितने अच्छे दार्शनिक थे उतने सुदर्शन नहीं थे, बल्कि वे बदसूरत ही थे. पर लोग उन्हें उनके सुन्दर विचारों की वजह से अधिक चाहते थे.

ज्योतिषी सुकरात का चेहरा देखकर कहने लगा, इसके नथुनों की बनावट बता रही है कि इस व्यक्ति में क्रोध की भावना प्रबल है.

यह सुन कर सुकरात के शिष्य नाराज होने लगे परन्तु सुकरात ने उन्हें रोक कर ज्योतिष को अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया.

''इसके माथे और सिर की आकृति के कारण यह निश्चित रूप से लालची होगा. इसकी ठोडी क़ी रचना कहती है कि यह बिलकुल सनकी है, इसके होंठों और दांतों की बनावट के अनुसार यह व्यक्ति सदैव देशद्रोह करने के लिये प्रेरित रहता है.

यह सब सुन कर सुकरात ने ज्योतिषी को इनाम देकर भेज दिया, इस पर सुकरात के शिष्य भौंचक्के रह गये.सुकरात ने उनकी जिज्ञासा शांत करने के लिये कहा कि, सत्य को दबाना ठीक नहीं. ज्योतिषी ने जो कुछ बताया वे सब दुर्गुण मुझमें हैं, मैं उन्हें स्वीकारता हू/. पर उस ज्योतिषी से एक भूल अवश्य हुई है, वह यह कि उसने मेरे विवेक की शक्ति पर जरा भी गौर नहीं किया. मैं अपने विवेक से इन सब दुर्गुणों पर अंकुश लगाये रखता हू/. यह बात ज्योतिषी बताना भूल गया.

शिष्य सुकरात की विलक्षणता से और प्रभावित हो गये.

श्लोक

तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।


विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

 
बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः |
श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः ||
 

जो व्यक्ति धर्म ( कर्तव्य ) से विमुख होता है वह ( व्यक्ति ) बलवान् हो कर भी असमर्थ , धनवान् हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी हो कर भी मूर्ख होता है |


जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं , मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति |
चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ||

अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जड़ता को हर लेता है ,वाणी में सत्य का संचार करता है, मान और उन्नति को बढ़ाता है और पाप से मुक्त करता है | चित्त को प्रसन्न करता है और ( हमारी )कीर्ति को सभी दिशाओं में फैलाता है |(आप ही ) कहें कि सत्संगतिः मनुष्यों का कौन सा भला नहीं करती |

 

 

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

Who has never made a mistake

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"Anyone who has never made a mistake has never tried anything new"
"Imagination is more important than knowledge"  
                                  ------- Einstein
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"जिसने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की | कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है|"  ------- आइंस्टाइन



ज्ञान शक्ति है, लेकिन इसके विपरीत सत्य नहीं है।

गुरुवार, 20 सितंबर 2018

अपनी कमजोरी में अपना बल छुपा है


बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था_.

*इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था*

_उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था ,और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था .ऐसा दो सालों से चल रहा था_.

*सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है , वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है*.

_फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया उसने किसान से कहा ,“ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”_
_“क्यों ? “ किसान ने पूछा , “ तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”__

*“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ , और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ , मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है , और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है .”, फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा.*

_किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला , “ कोई बात नहीं , मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो .”_

*घड़े ने वैसा ही किया , वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया , ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते – पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा .*

_किसान बोला ,” शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे , सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था . ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था , और मैंने उसका लाभ उठाया . मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे , तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया . आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ . तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ?”_

*दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है , पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं . उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा*

*अपनी कमजोरी में अपना बल छुपा है*
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