🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺 " संघर्ष ही जीवन है " एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज रहता था ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए, तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ न कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाया करती थी ! एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा - देखिये प्रभु, आप परमात्मा हैं, लेकिन लगता है, आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है। एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये, जैसा मैं चाहूं वैसा मौसम हो, फिर आप देखना मैं कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा- ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मैं दखल नहीं करूँगा! जैसा तुम चाहो। किसान ने गेहूं की फ़सल बोई, जब धूप चाही, तब धूप मिली, जब पानी चाहा, तब पानी ! तेज धूप, ओले, बाढ़, आंधी को तो उसने आने ही नहीं दीया। समय के साथ फसल बढ़ी, और किसान की ख़ुशी भी, क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी ! किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, कि फ़सल कैसे करते हैं, बेकार ही इतने बरस हम किसानों को परेशान करते रहे। फ़सल काटने का समय भी आया, किसान बड़े गर्व