शनिवार, 26 दिसंबर 2015

एकता का महत्व

झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह "कचरा" साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
एकता का महत्व समझें ।

मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक)

एक दिन एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था कि अचानक ही एक कार पार्किंग से निकलकर रोड़ पर आ गयी। ऑटो चालक ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते टकराते बची।

कार चालक गुस्से में कार से निकला और ऑटो वाले को ही भला बुरा कहने लगा जबकि गलती कार- चालक की खुद की थी।

ऑटो वाले ने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और उल्टा मुस्कराते हुए आगे बढ़ गया।

ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की हरकत पर गुस्सा आ रहा था और उसने ऑटो वाले से पूछा 
"तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया। उसने तुम्हें भला बुरा कहा जबकि गलती तो उसकी थी। हमारी किस्मत अच्छी है, नहीं तो उसकी वजह से हम अभी अस्पताल में होते। "

ऑटो वाले ने कहा
"साहब बहुत से लोग गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक) की तरह होते है। वे बहुत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरे हुए चलते है – हमेशा निराशा, क्रोध और चिंता से भरे हुए नकारात्मक रवैया अपनाते है। जब उनके दिमाग निराशा रूपी कूड़ा बहुत अधिक हो जाता है तो वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूँढ़ने लगते है।
इसलिए मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ और उन्हें दूर से ही मुस्कराकर अलविदा कह देता हूँ क्योंकि अगर उन जैसे लोगों द्वारा गिराया हुआ कूड़ा अगर मैंने स्वीकार कर लिया तो मैं भी एक गार्बेज ट्रक बन जाऊँगा और अपने साथ साथ आसपास के लोगों पर भी निराशा रूपी कूड़ा गिराता रहूँगा। "

जिंदगी बहुत छोटी है जो हमसे अच्छा व्यवहार करते है उन्हें धन्यवाद कहो और जो हमसे अच्छा व्यवहार नहीं करते, उन्हें मुस्कुराकर माफ़ कर दो।

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

अहंकार मरता है...शरीर जलता है!


ऐसा कहते हैं कि नानक देव जी जब आठ वर्ष के थे तब पहली बार अपने घर से अकेले निकल पड़े, सब घर वाले और पूरा गाँव चिंतित हो गया तब शाम को किसी ने नानक के पिता श्री कालू मेहता को खबर दी कि नानक तो श्मशान घाट में शांत बैठा है। सब दौड़े और वाकई एक चिता के कुछ दूर नानक बैठे हैं और एक अद्भुत शांत मुस्कान के साथ चिता को देख रहे थे, माॅ ने तुरंत रोते हुए गले लगा लिया,
और पिता ने नाराजगी जताई और पूछा "यहां क्यों आऐ।"
नानक ने कहा "पिता जी कल खेत से आते हुए जब मार्ग बदल कर हम यहां से जा रहे थे और मैंने देखा कि एक आदमी चार आदमीयो के कंधे पर लेटा है और वो चारो रो रहे हैं तो मेरे आपसे पूछने पर कि ये कौन सी जगह हैं, तो पिताजी आपने कहा था कि ये वो जगह है बेटा जहां एक न एक दिन सबको आना ही पड़ेगा और बाकी के लोग रोएगें ही। बस तभी से मैनें सोचा कि जब एक दिन आना ही हैं तो आज ही चले और वैसे भी अच्छा नही हैं लगता अपने काम के लिए अपने चार लोगो को रूलाना भी और कष्ट भी दो उनके कंधो को , तो बस यही सोच कर आ गया।"
तब कालू मेहता रोते हुए बोले "नानक पर यहां तो मरने के बाद आते हैं "
इस पर जो आठ वर्षीय नानक बोले वो कदापि कोई आठ जन्मो के बाद भी बोल दे तो भी समझो जल्दी बोला |
नानक ने कहा "पिता जी ये ही बात तो मैं सुबह से अब तक मे जान पाया हूं कि लोग मरने के बाद यहां लाए जा रहे हैं , अगर कोई पूरे चैतन्य से यहां अपने आप आ जाऐ तो वो फिर कभी मरेगा ही नही सिर्फ शरीर बदलेगा क्योंकि मरता तो अंहकार है और जो यहां आकर अपने अंहकार कि चिता जलाता है वो फिर कभी मरता ही नही मात्र मोक्ष प्राप्त कर लेता है।।"