मंगलवार, 15 नवंबर 2022

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

 

अयि गिरिनन्दिनि का अर्थ है पर्वत की पुत्रि |

आदिशक्ति माँ दुर्गा को अयि गिरिनन्दिनि कहा जाता है|  हिमालयराज की कन्या | माँ दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर राक्षस का वध किया था | 

पुराणों में उल्लेखित के अनुसार केवल मानव ही नहीं देवता भी असुरों के अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब सभी देवगण ब्रह्माजी के पास गए और उनसे सामाधान मांगा। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज का वध एक कुंवारी कन्या के हाथ ही हो सकता है।इसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर अपने तेज को एक जगह समाहित किया और इस शक्ति से देवी का जन्म हुआ। देवी के शरीर का अंग प्रत्येक देव की शक्ति के अंश से उत्पन हुआ था।देवी का जन्म तो हो गया, लेकिन महिषासुर के अंत के लिए देवी को अभी भी अपार शक्ति की जरूरत थी। तब भगवान शिव ने उनको अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, श्रीराम ने धनुष, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, वरुण ने दिव्य शंख, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने मणियों से सुशोभित नाग, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने माता उनका वाहन सिंह दिया। इन सभी अस्त्र-शस्त्र को देवी दुर्गा ने अपनी 18 भुजाओं में धारण किया।अस्त्र-शस्त्र और आंतरिक शक्ति से देवी का विराट रूप बन गया और असुर उन्हें देख कर ही भयभीत होने लगे। देवी के पास सभी देवताओं की शक्तियां हैं। उनके जैसा कोई दूसरा शक्तिशाली नहीं है, उनमें अपार शक्ति है, उन शक्तियों का कोई अंत नहीं है, इसलिए वे आदिशक्ति कहलाती हैं।

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम जगद्गुरु आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) द्वारा रचित है |


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गुरुवार, 19 मई 2022

Everything is at its Acme

 Everything is at its Acme

Primarily the skill of navigating society successfully. The modern requirements for producing a wise man are higher than those for producing the Seven Sages, and the modern requirements for dealing with an individual are higher than those for dealing with an entire population.

A more specific definition of this skill would be the ability to skillfully navigate professional and social terrain. It is currently more difficult to cultivate a single intelligent man than it was in the past to cultivate seven sages, and it is currently more difficult to deal with a single individual than it was in the past to deal with an entire nation.


सब कुछ अपने परिपूर्ण  स्तर पर है; विशेष रूप से दुनिया में अपना रास्ता बनाने की कला। सप्तऋषियों को बनाने के लिए पहले की तुलना में एक बुद्धिमान व्यक्ति बनाने के लिए आजकल अधिक आवश्यकता है, और आजकल एक व्यक्ति के साथ व्यवहार करने के लिए पहले की तुलना में पूरे लोगों की आवश्यकता होती है।


The Art of Worldly Wisdom, by Balthasar Gracian, tr. by Joseph Jacobs, [1892]

शनिवार, 26 जून 2021

चूहे और शेर की दोस्ती




एक बार राजस्थान के रणथंभौर के जंगल में एक शेर गहरी नींद सो गया। उसके पास कुछ चूहे लुका-छिपी खेल रहे थे। एक चूहा शेर के पंजे के नीचे फंस गया। शेर उठा, जोर से हँसा और चूहे को जाने दिया!
कुछ दिनों बाद चूहे ने शेर की दहाड़ सुनी। उसने देखा कि शेर बहुत दर्द में पड़ा था क्योंकि वह कई रुपये से बंधा हुआ था। चूहे ने अपने नुकीले दांतों का इस्तेमाल किया और रस्सी को काट दिया। इस तरह वह भाग निकला।

दरअसल, जरूरतमंद दोस्त काम में दोस्त होता है।  हर दोस्त की यही तमन्ना होती है कि वह जरूरत के वक्त दोस्त के काम आए।

"आप एक सच्चे दोस्त हैं," शेर ने कहा।





इसके बाद चूहे और शेर की दोस्ती हो गई। वे बाद में जंगल में खुशी-खुशी रहने लगे।




ईसप की दंतकथाओं से