रविवार, 27 नवंबर 2016

नजरिया और नज़ारे

एक बार दो दोस्त एक आम के बगीचे से गुज़र रहे थे की उन्होंने देखा के कुछ बच्चे एक आम के पेड़ के नीचे खड़े हो कर पत्थर फेंक कर आम तोड़ रहे हैं।
ये देख कर दोस्त बोला कि देखो कितना बुरा दौर आ गया कि पेड़ भी पत्थर खाए बिना आम नही दे रहा है।
तो दुसरे दोस्त ने कहा "नहीं दोस्त* तु गलत देख रहा है... ,दौर तो बहुत अच्छा है की पत्थर खाने के बावजुद भी पेड़ आम दे रहा है।
दिल में ख़यालात अच्छे हो तो सब चीज अच्छी नज़र आती है, और सोच बुरी हो तो बुराई ही बुराई नज़र आती है ।नियत साफ है तो नजरिया और नज़ारे खुद ब खुद बदल जाते है।

सावधान


प्रतिभा ईश्वर से मिलती है,
नतमस्तक रहें..!

ख्याति समाज से मिलती है,
आभारी रहें..!

मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं,
सावधान रहें..!!

गुरुवार, 24 नवंबर 2016

स्वंय को ऐसा बनाओ ....

स्वंय को ऐसा बनाओ जहाँ तुम हो, वहाँ तुम्हें सब प्यार करें,
जहाँ से तुम चले जाओ, वहाँ तुम्हें सब याद करें,
जहाँ तुम पहुँचने वाले हो, वहाँ सब तुम्हारा इंतज़ार करें।